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Blog - मानसिक रोग कारण, लक्षण, बचाव के उपाय व उपचार

May 14 , 2021    Admin    Comment: 

कारण : शारीरिक रोग (बुखार, मलेरिया, पीलिया, मिर्गी, आयोडीन की कमी, लकवा, टी.बी, लवण की कमी, स्टेरॉइड्स आदि ) प्रसव काल आनुवांशिकता, कमजोर व्यक्तित्व मानसिक तनाव व नशीले पदार्थों का सेवन पारिवारिक कलह व कार्यस्थल पर दवाब | सामजिक अवहेलना, शारीरिक श्रम में कमी व विपरीत हालात|

उन्माद (Psychosis) : वास्तिवकता से दूर रहना, उत्तेजित या गुमसुम होना , गाली-गलौज ,मारपीट करना, ऊपरी हवा व जादुई प्रकोप मानना, अपने आप से बातें करना , बड़ी बड़ी बातें करना या डींग हाकना, ड्यूटी से गायब रहना, लोग मेरे लिए षड्यंत्र कर रहे है , गन्दी गन्दी बातें के रहे हैं शक वहम करना, काल्पनिक आवाजे सुनाई देना, असामान्य व्यवहार ,बहकी बहकी बातें करना, अकारण ही शक, नींद की कमी, नहाने धोने का ध्यान न होना|

अवसाद (Depression): अत्यधिक उदासी, नींद की कमी, आत्मघाती विचार, गुमसुम रहना, आत्महत्या का प्रयास करना, उत्साह, उमंग व कार्यक्षमता की कमी,सेक्स मैं दुर्बलता, दिनचर्या मैं रूचि नहीं याददाश्त व एकाग्रता में कमी, रोने का मन करना, भविष्य के प्रति असहाय |

चिंता विक्षप्ति (Anxity Neurosis): बिना कारण घबराहट, बेचैनी व उदासी, मुंह सूखना, दिल तेज धड़कना, हाथ पाँव ठन्डे महसूस करना,नींद की कमी या बीच मे नींद खुलना, पसीने आना व मुहं मे खुश्की, हाथ पैरों मे सुन्नता

ग्रस्त-अधि (obsessive cumpulsive disorder): बार बार एक ही विचार आने पर परेशान होना या एक ही कार्य जैसे बार बार हाथ धोना, छूने पर गंदनी का विचार आना, बार बार चिटकनी या ताला चेक करना, रोकने की कोशिश का घबराहट होना देवी देवताओं के बारे मे अर्नगल विचार आना

मनो शारीरिक रोग (psychosomatic disorder):चिंता चिता समान है इस रोग मे मन शरीर को प्रभावित करता है | उदहारणत : गठिया रोग, अस्थमा, मोटापा , मासिक धर्म के पूर्व तनाव, ब्लड प्रेशर ,पेट की बीमारिया, अमल पित, माईग्रेन, कैंसर व मधुमेह इत्यादि

मनो-योन रोग (psychosexual disorder): मानसिक तनाव के कारण शीघ्रपतन, शिथिलता, धातु गिरना, ठंडापन,रात्रि स्खलन तथा अत्यधिक कामोत्तेजना व लिंग की कमजोरी, लिंग का टेढ़ापन व छोटा होना समलैंगिक सहवास इत्यादि|

हिस्टीरिया (Hysteria): इसमें मानसिक तनाव के कारण अचेतन या चेतन मन में घुटन होती है, अपनी भावनाओं को व्यक्त करने की सवतंत्रता महसूस न करने पर शारीरिक या मानसिक लक्षण उत्पन्न्न होते है जैसे मूर्छा लकवा, अंधापन, बेहोशी व जबडी भीचना व ताणे आना

मिर्गी (Epilepsy): अचानक बेहोश होना, सम्पूर्ण शरीर या किसी हिस्से मे दौरे का आना , शरीर का अकड़ना, हाथ -पैरों मे कम्पन होना,दौरे के कारण जीभ कटना, मुहं मे झाग आना, एकदम से गिर पड़ना एवं चोट लगना, कभी कभी पेशाब निकल जाना, दौरे के पश्चात शरीर दुखना, याददाश्त मे कमी व सिरदर्द होना

नशे की लत (Drug Addiction & dependence): नशे के कारण मानसिक रोग हो सकते है | अथवा इन रोगों के कारण भी नशे की लत हो सकती है |जैसे धूम्रपान, तम्बाकू, जर्दा, नींद की गोलिया, शराब, अफीम, गांजा, चरस, मुनका, गुटका, खेनी, पोस्त, डोडा, अमल, स्मैक व शुंकने वाले पदार्थ इत्यादि |

नशे के आदि होने के लक्षण : रोज दिन में नशा करना, नशीले पदार्थ की मात्रा मे लगातार वृद्धि तथा नशा न करने पर बेचैनी, नींद की कमी, हाथ-पाँव में दर्द तथा उलटी का होना, चिड़चिडापन व उत्तेजना | अपराधी व हिंसक प्रव्रती, काम नहीं करना, पारिवारिक कलह, ड्यूटी से गायब होना, एक निश्चित समय पर तालाब उठना |

Do you know ?

According to WHO 30% population suffer from mental illness all over world.
  • 1 in 10 people have some form of depression at any one time.
  • Among the teenagers, rates of depression,suicide and anxiety have increased by 70% in the last 25 years.
  • 20.6% of school children studying in class 4 to 5 have learning disablity(LD)

बचाव के उपाय :

  • सोने व उठने का समय नियमित व निश्चित रखना चाहिये | सोने से पहले दिन भर की अच्छी बातें याद करे, चाहे रात कभी भी सोएं, सुबह वक्त पर ही उठे , ब्रह्ममुहर्त मैं मस्तिष्क सबसे क्रियाशील रहता है |
  • ताजा हवा मे प्रातः कम से कम ३० मिनट सूर्य की हलकी रौशनी मे व्यायाम करें, हसे और हसाये, योग करे(शवासन ), सूर्य नमस्कार (पावरयोग ),व्रजासन व पदमासन, शीर्षासन, पवन मुक्तासन, भामरी, प्राणायाम ,योगमुद्रा ,ताड़ासन, योग के बाद ध्यान मुद्रा व प्रेक्षाध्यान मे लीं रहें |
  • तनाव से दूर नहीं भागें, अपनी भावनाओं को व्यक्त कर हल निकालें | निरंतर सवांद कायम रखें , जीने की चाहत, नशा मुक्ति व कर्मनिष्ठा, पूजा अर्चना ठीक होने मे संजीवनी है , मित्र परिवारों से मिलकर समय बितावे, धार्मिक व सामाजिक कार्यों मे रूचि बढ़ावे , सयुंक्त परिवार व सामाजिक मेलमिलाप रखें |
  • कुछ भ्राँतिया दवाओं के बारे मे भी है , जो मरीजों को लम्बे उपचार से रोकती है जैसे दवायें गर्म होती है एवं इनके दुष्परिणाम होते है| दवाओं के कुछ अन्य परिणाम अक्सर होते है पर इनके सही मात्रा एवं सही समय के लिए उपयोग मैं लेने से ये परिणाम कम एवं कभी कभी उपयोगी भी साबित होते है | एक धारणा यह भी है की दवाएं लम्बे समय तक नहीं लेनी चाहिए | किन्तु सभी दवाएं भी सही मात्रा व सही समय पर लेने से दवा की आदत पड़ने से रोका जा सकता है |
  • स्वयं अपने आप पर व इलाज़ करने वाले चिकित्सक पर सम्पूर्ण विश्वास हो, तभी इलाज़ सही होगा |
  • उपचार : मानसिक बिमारियों का उपचार सम्भव है | ये रोग किसी भूत प्रेत या देवी के प्रकोप के कारण नहीं होते, इनका इलाज झाड़ फूंक से नहीं हो सकता | मनोचिकित्सा (व्यवहार चिकित्सा, काउंसलिंग, साइकोथैरेपी, नारकोअनलिसिस) विधुत उपचार एवं औषधि से इलाज़ होता है |
  • बिना सलाह के दवाई बंद व कम ज्यादा नहीं करें | आपातकालीन परिस्थिति मे चिकित्सक से तुरंत संपर्क करें | उपचार छह माह से दो वर्ष तक चल सकता है |

 

सयम व विश्वास इलाज की कुंजी है |

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